संस्कृत शिक्षण विधियाँ, Part 13, पठन कौशल, #Sanskrit shikshan vidhi, pathan kaushal, Bhasha Kaushal
पठन कौशल,
भाषा कौशल सोपान
संस्कृत शिक्षण विधियाँ, Part 13,
Sanskrit shikshan vidhi,
pathan kaushal, Bhasha Kaushal
पठन कौशल, == यह भाषा शिक्षण का तृतीय कौशल है।
लिखित रूप में विद्यमान अंश को पढ़कर उसके भाव को ग्रहण करना पठन कौशल कहलाता है ।
लिपि संकेत एवं वर्णों का उच्चारण पूर्वक, शब्दों एवं वाक्यों का अर्थ, बोध सहित ग्रहण प्रक्रिया ही पठन/वाचन कौशल कहलाती है । अतः इसका मूल आधार लिपिबद्ध ध्वनिरूप है।
श्रवण की अपेक्षा पठन से अधिक स्थाई ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
विषय वस्तु को सुनने में जो अशुद्धियां रह जाती हैं उसका पठन से निवारण हो जाता है।
पठन के प्रकार
सस्वर पठन
आदर्श वाचन (शिक्षक के द्वारा)
अनुकरण वाचन (छात्रों के द्वारा)
समवेत वाचन (समूह में छात्रों के द्वारा)
मौन पठन
सामान्य मौन पठन
गंभीर मौन पठन
द्रुत पठन