संस्कृति किसी
भी देश के विकास में एक निर्णायक भूमिका निभाता है। एक राष्ट्र की एक संस्कृति
अपने मूल्यों, लक्ष्यों , प्रथाओं और साझा विश्वासों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय संस्कृति आदर्शवाद और उत्कृष्ट सम्मान के आधार पर एक दिव्य संस्कृति है।
भारतीय संस्कृति, अनन्त विश्व स्तर पर लागू है और
एक और सभी के द्वारा स्वीकार्य है।
विश्व भर के
इतिहासकारों, लेखकों, राजनेताओं,वैज्ञानिकों, शासकों और अन्य जानी मानी हस्तियों ने भारत की प्रशंसा
की है और शेष विश्व को दिए गए योगदान की सराहना की है। ये टिप्पणियां भारत की महानता
का मात्र कुछ हिस्सा प्रदर्शित करती हैं, फिर भी इनसे हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व का अनुभव होता
है। भारतीय संस्कृति कठोर कभी नहीं किया गया है और यही कारण है कि यह आधुनिक युग
में गर्व के साथ जीवित है।
एल्बर्ट आइनस्टाइन
विश्व भर के
इतिहासकारों, लेखकों, राजनेताओं और अन्य जानी मानी हस्तियों ने भारत की
प्रशंसा की है और शेष विश्व को दिए गए योगदान की सराहना की है। जबकि ये टिप्पणियां
भारत की महानता का केवल कुछ हिस्सा प्रदर्शित करती हैं, फिर भी इनसे हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व का अनुभव होता
है।
"हम सभी भारतीयों
का अभिवादन करते हैं, जिन्होंने हमें गिनती करना
सिखाया, जिसके बिना विज्ञान की कोई भी खोज
संभव नहीं थी।!"
- एल्बर्ट आइनस्टाइन (सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, जर्मनी)
मार्क ट्वेन
"भारत मानव जाति
का पालना है, मानवीय वाणी का जन्म स्थान है, इतिहास की जननी है और विभूतियों की दादी है और इन सब के
ऊपर परम्पराओं की परदादी है। मानव इतिहास में हमारी सबसे कीमती और सबसे अधिक
अनुदेशात्मक सामग्री का भण्डार केवल भारत में है!"
- मार्क ट्वेन (लेखक, अमेरिका)
रोम्या रोलां
"यदि पृथ्वी के
मुख पर कोई ऐसा स्थान है जहां जीवित मानव जाति के सभी सपनों को बेहद शुरुआती समय
से आश्रय मिलता है, और जहां मनुष्य ने अपने अस्तित्व
का सपना देखा, वह भारत है।!"
- रोम्या रोलां (फ्रांसीसी विद्वान)
सिल्विया लेवी
"भारत ने
शताब्दियों से एक लम्बे आरोहण के दौरान मानव जाति के एक चौथाई भाग पर अमिट छाप
छोड़ी है। भारत के पास उसका स्थान मानवीयता की भावना को सांकेतिक रूप से दर्शाने
और महान राष्ट्रों के बीच अपना स्थान बनाने का दावा करने का अधिकार है। पर्शिया
से चीनी समुद्र तक साइबेरिया के बर्फीलें क्षेत्रों से जावा और बोरनियो के द्वीप
समूहों तक भारत में अपनी मान्यता, अपनी कहानियां और अपनी सभ्यता का प्रचार प्रसार किया
है।"
- सिल्विया लेवी (फ्रांसीसी विद्वान)
स्वामी विवेकानन्द
"सभ्यताएं
दुनिया के अन्य भागों में उभर कर आई हैं। प्राचीन और आधुनिक समय के दौरान एक जाति
से दूसरी जाति तक अनेक अच्छे विचार आगे ले जाए गए हैं. . . परन्तु मार्क, मेरे मित्र, यह हमेशा युद्ध के बिगुल बजाने के साथ और ताल बद्ध
सैनिकों के पद ताल से शुरू हुआ है। हर नया विचार रक्त के तालाब में नहाया हुआ
होता था . . . विश्व की हर राजनैतिक शक्ति को लाखों लोगों के जीवन का बलिदान देना
होता था, जिनसे बड़ी तादाद में अनाथ बच्चे
और विधवाओं के आंसू दिखाई देते थे। यह अन्य अनेक राष्ट्रों ने सीखा, किन्तु भारत में हजारों वर्षों से शांति पूर्वक अपना
अस्तित्व बनाए रखा। यहां जीवन तब भी था जब ग्रीस अस्तित्व में नहीं आया था . . .
इससे भी पहले जब इतिहास का कोई अभिलेख नहीं मिलता, और परम्पराओं ने उस अंधियारे भूतकाल में जाने की हिम्मत
नहीं की। तब से लेकर अब तक विचारों के बाद नए विचार यहां से उभर कर आते रहे और
प्रत्येक बोले गए शब्द के साथ आशीर्वाद और इसके पूर्व शांति का संदेश जुड़ा रहा।
हम दुनिया के किसी भी राष्ट्र पर विजेता नहीं रहे हैं और यह आशीर्वाद हमारे सिर
पर है और इसलिए हम जीवित हैं. . .!"
- स्वामी विवेकानन्द (भारतीय दार्शनिक)
मेक्स मुलर
"यदि हम से पूछा
जाता कि आकाश तले कौन सा मानव मन सबसे अधिक विकसित है, इसके कुछ मनचाहे उपहार क्या हैं, जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर सबसे अधिक गहराई से
किसने विचार किया है और इसकी समाधान पाए हैं तो मैं कहूंगा इसका उत्तर है
भारत।"
- मेक्स मुलर (जर्मन विद्वान)
हु शिह
"भारत ने चीन की
सीमापार अपना एक भी सैनिक न भेजते हुए बीस शताब्दियों के लिए चीन को सांस्कृतिक
रूप से जीता और उस पर अपना प्रभुत्व बनाया
है।"
- हु शिह (अमेरिका में चीन के पूर्व राजदूत)
किथ बेलोज़
"दुनिया के कुछ
हिस्से ऐसे हैं जहां एक बार जाने के बाद वे आपके मन में बस जाते हैं और उनकी याद
कभी नहीं मिटती। मेरे लिए भारत एक ऐसा ही स्थान है। जब मैंने यहां पहली बार कदम
रखा तो मैं यहां की भूमि की समृद्धि, यहां की चटक हरियाली और भव्य वास्तुकला से, यहां के रंगों, खुशबुओं, स्वादों और ध्वनियों की शुद्ध, संघन तीव्रता से अपने अनुभूतियों को भर लेने की क्षमता
से अभिभूत हो गई। यह अनुभव कुछ ऐसा ही था जब मैंने दुनिया को उसके स्याह और सफेद
रंग में देखा, जब मैंने भारत के जनजीवन को देखा
और पाया कि यहां सभी कुछ चमकदार बहुरंगी है।"
- किथ बेलोज़ (मुख्य संपादक, नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी)